इंट्राडे ट्रेडिंग: आसान भाषा में पूरी जानकारी

इंट्राडे ट्रेडिंग
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इंट्राडे ट्रेडिंग: आसान भाषा में पूरी जानकारी


इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है?

इंट्राडे ट्रेडिंग, जिसे डे ट्रेडिंग भी कहते हैं, स्टॉक मार्केट में एक ऐसी ट्रेडिंग कैटेगरी है जिसमें आप किसी भी शेयर को उसी दिन खरीदते और बेचते हैं। यानी, आपकी मार्केट पोजीशन मार्केट क्लोज होने से पहले स्क्वायर ऑफ हो जाती है। इसमें आप ओवरनाइट रिस्क से बच जाते हैं, क्योंकि कोई भी स्टॉक या इंडेक्स आपके पास रातभर के लिए नहीं रहता।

इंट्राडे ट्रेडिंग

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे

  • मार्जिन बेनिफिट: इंट्राडे में आपको ब्रोकर्स से 5 गुना या उससे ज्यादा मार्जिन मिल सकता है, जिससे आप कम कैपिटल में ज्यादा वैल्यू के शेयर खरीद सकते हैं।
  • फास्ट प्रॉफिट: अगर आपकी स्ट्रैटेजी सही है, तो एक ही दिन में अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं।
  • ओवरनाइट रिस्क नहीं: रातभर मार्केट में कोई बड़ी न्यूज या गेप-अप/डाउन का डर नहीं रहता।

इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान

  • हाई रिस्क: प्रॉफिट जितना जल्दी मिलता है, उतना ही जल्दी नुकसान भी हो सकता है।
  • मार्केट वोलैटिलिटी: अचानक मार्केट मूवमेंट्स से नुकसान हो सकता है।
  • इमोशनल डिसीजन: जल्दी-जल्दी फैसले लेने की वजह से कई बार इमोशनल होकर गलत ट्रेडिंग हो जाती है।

इंट्राडे ट्रेडिंग की बेसिक स्ट्रैटेजीज़

1. ओपनिंग रेंज ब्रेकआउट (ORB) स्ट्रैटेजी

मार्केट खुलने के बाद पहले 15-30 मिनट का हाई और लो नोट करो। अगर प्राइस इस रेंज से ऊपर जाता है तो बाय, नीचे जाता है तो सेल। वॉल्यूम कन्फर्मेशन जरूरी है, यानी जब ब्रेकआउट हो जाता है तो वॉल्यूम भी बढ़ना चाहिए।

2. मूविंग एवरेज क्रॉसओवर

अगर फास्ट मूविंग एवरेज (जैसे 9 EMA) स्लो मूविंग एवरेज (जैसे 21 EMA) को ऊपर की तरफ क्रॉस करे तो बाय सिग्नल, और नीचे की तरफ क्रॉस करे तो सेल सिग्नल मिलता है।

3. VWAP (Volume Weighted Average Price) स्ट्रैटेजी

VWAP से पता चलता है कि स्टॉक का एवरेज ट्रेडिंग प्राइस क्या है। अगर प्राइस VWAP के ऊपर है तो स्टॉक बुलिश है, नीचे है तो बेयरिश। VWAP के आस-पास रिट्रेसमेंट या बाउंस पर ट्रेड लेना सही रहता है।

4. मॉमेंटम ट्रेडिंग

ऐसे स्टॉक्स चुनो जिनमें हाई वॉल्यूम और तेज़ मूवमेंट हो। ट्रेंड के साथ चलो, यानी अगर स्टॉक ऊपर जा रहा है और वॉल्यूम भी बढ़ रहा है तो बाय, और अगर नीचे जा रहा है तो सेल।

5. समर्थन और प्रतिरोध (Support & Resistance) लेवल्स

टेक्निकल चार्ट्स पर सपोर्ट (जहां प्राइस गिरना रुकता है) और रेसिस्टेंस (जहां प्राइस बढ़ना रुकता है) लेवल्स पहचानो। ब्रेकआउट या रिवर्सल के मौके इन्हीं लेवल्स पर मिलते हैं।


इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए Important टिप्स

  • लिक्विड स्टॉक्स चुनो: ऐसे स्टॉक्स जिसमें वॉल्यूम ज्यादा हो, ताकि एंट्री और एग्जिट आसान हो।
  • स्टॉप-लॉस लगाओ: नुकसान को लिमिट करने के लिए हर ट्रेड में स्टॉप-लॉस जरूर सेट करो।
  • टारगेट फिक्स करो: प्रॉफिट बुक करने के लिए पहले से टारगेट डिसाइड करो।
  • ओवरट्रेडिंग से बचो: दिनभर में लिमिटेड ट्रेड ही करो, वरना इमोशनल होकर गलत फैसले हो सकते हैं।
  • मार्केट ट्रेंड को समझो: Nifty या Bank Nifty का ओवरऑल ट्रेंड देखकर ही सेक्टर या स्टॉक चुनो।
  • न्यूज़ और इवेंट्स पर ध्यान दो: इंट्राडे में न्यूज या इवेंट्स से मार्केट बहुत जल्दी मूव करता है, इसलिए अपडेट रहो।

इंट्राडे ट्रेडिंग में सफल कैसे बनें?

  • रिसर्च और प्रैक्टिस: जितना ज्यादा प्रैक्टिस करोगे, उतना ही बेहतर समझ पाओगे कि किस टाइम पर कौन-सी स्ट्रैटेजी लगानी है।
  • टेक्निकल एनालिसिस सीखो: चार्ट्स, इंडिकेटर्स, पैटर्न्स को समझना जरूरी है।
  • डिसिप्लिन रखो: इमोशन्स पर कंट्रोल रखो और पहले से बनाए गए रूल्स फॉलो करो।
  • रिस्क मैनेजमेंट: कभी भी पूरी कैपिटल एक ही ट्रेड में मत लगाओ।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए Best टाइम

  • सुबह 9:30 से 11:00 बजे: इस समय मार्केट में वोलैटिलिटी ज्यादा होती है, जिससे अच्छे मूव्स मिल सकते हैं।
  • दोपहर 1:30 से 2:30 बजे: कई बार इस टाइम पर भी अच्छे Breakouts मिल सकते हैं।
  • मार्केट क्लोजिंग के पास: लास्ट 30 मिनट में वोलैटिलिटी बढ़ जाती है, लेकिन रिस्क भी ज्यादा रहता है।

निष्कर्ष

इंट्राडे ट्रेडिंग में जल्दी पैसा कमाने का मौका तो है, लेकिन रिस्क भी उतना ही ज्यादा है। बिना रिसर्च और स्ट्रैटेजी के ट्रेडिंग करना नुकसानदायक हो सकता है। हमेशा डिसिप्लिन, रिस्क मैनेजमेंट और सही स्ट्रैटेजी के साथ ट्रेड करो। इंट्राडे ट्रेडिंग सीखना है तो पहले वर्चुअल ट्रेडिंग या पेपर ट्रेडिंग से शुरुआत करो, फिर धीरे-धीरे रियल ट्रेडिंग में आओ।



“Overtrading se bacho, stop-loss use karo aur market trend ke saath hi trade karo. Discipline hi ek successful intraday trader ki pehchaan hai.”

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